Akash

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Monday, September 26, 2011

दुल्हन........ - आकाश सिंह

गम और खुशी जिंदगी के ऐसे दो धागे हैं जिनके ताने बाने के बगैर जिंदगी की चादर नहीं बुनी जा सकती |
 
फूलों से क्यों मोहब्बत है तितलियाँ समझती हैं |
        माँ के दिल में क्या गम है बेटियां समझती हैं ||


रुखसती की तन्हाई गूंजती है आँगन में |
        दुल्हनों के आंसू को सहेलियां समझती हैं ||


तोड़कर मसलते हैं जो नर्म नर्म फूलों को |
        दर्द किसको कहते हैं डालियाँ  समझती हैं ||


मरघटों में आती  है रोज एक नई दुल्हन |
        किस तरह जली होगी अर्थियां समझती हैं ||