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Saturday, May 12, 2012

क्या यही प्यार है ? - आकाश कुमार


क्या यही प्यार है ?
बड़ी सिद्दत से प्यार की दो बातें लिखी है | आपकी मंत्ब्य्यों की अपेक्छा है |

प्यार को किसी नाम की जरुरत नहीं होती |
इससे ज्यादा कोई चीज दुनियां में खुबसूरत नहीं होती ||
                  मैंने भी किया था प्यार बड़ी शान से |
                  पर ये क्या हुआ भी तो एक नादान से ||
प्यार की परिभाषा, ना प्यार का मतलब आता था |
मन ही मन उनकी हर अदा मेरे दिल को भाता था ||
                  उनकी हर अदा में छलकता प्यार देखा |
                  थोडा नहीं बेसुमार देखा ||
आगे देखो प्यार का खेला |
मधुर मिलन की आई बेला ||
                  प्यार का मौसम सावन आया |
                  दो से हमको एक बनाया ||
कई साल अब बीत गए |
हम वादों में जुट गए ||
                  दिन भर प्यार की कसमे खाना |
                  झूठ मुठ का रोना धोना ||
प्यार प्यार में तकरार हो गया |
देखते ही देखते साडी मेहनत बेकार हो गया ||
                  जिस प्यार को हमने सबकुछ माना |
                  उसी ने किया हमको बेगाना ||