Akash

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Thursday, January 10, 2013

भावनाओं से भरी गगरी(घड़ा) - आकाश कुमार



देश के वीर जवानों को श्रधांजलि हेतु समर्पित। 
एक प्रयास मेरा भी -- भावनाओं की उधेड़ बुन से शब्द मिले, और सजा कर परोस दिया आप सभी के बिच। वर्तनी में अशुद्धियों के लिए माफ़ी चाहता हूँ। 
 पहली पंक्ति कांग्रेस सरकार के लिए है)
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सर फरोशी की तमन्ना, कब तुम्हारे दिल में थी ।
सर कटा और धड कटा, ये कैसी तेरी दिल्लगी ।।


अब हिमालय भी हिला है, जाग जाओ रणबाकुरों ।
नाप दो तलवार लेकर, पाक की पूरी जमीं  ।।

हर समय छला है तूने, ये ना हम भूले कभी  ।
आ जाओ तुम सामने से, सर कलम कर दूं अभी  ।।

जल रही है शोला बनकर, आज देश की दिशाएं ।
रो पड़ी है सर कटे की, अब भी जिन्दा आत्माएं ।।

बह गया है देश अब, नयनो  के नीर से ।
अब न मिल पाएंगे हम, अपने दो वीर से ।।

इन्तहां की हद कर दी, दोगली सरकार ने ।
सब दरिन्दे जुट गए है, देश की सरकार में ।।

डूब गया है देश शर्म से ,  पाक के हुंकार में ।
पुछ रहा आकाश भी अब , क्या किया सरकार ने ।।

मकसद न कोइ मेरी, सिर्फ आपको बताना है ।
इटली की सरकार हटाकर, मोदी को ही लाना है ।।
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फिर से नया भारत बनाना है ...  जय हिन्द ।