मेरे पैदा होने की खबर
जब बाप की कानो में पड़ी
तो उनका चेहरा उतर गया
भविष्य का सपना बिखर गया
क्योंकि मैं लड़की थी
घर का माहौल यूं हो गया
जैसे पैदाइश नहीं
कोई मौत हुई है
माँ को भी
लाल के आने का पूरा भरोसा था
मैं लाल नहीं, लाली थी
इशलिये माँ ने भी जी भर कर कोसा था
फिर मुझे बेमन से पाला पोसा गया
मेरे सामने
भाई का जूठन परोसा गया
मैं अपने ही घर में
अजनबी बनकर जीती रही
फिर भी माँ-बाप से मुझे
कोई शिकायत न थी
क्योंकि मैं जानती हूँ
औरत की जिंदगी,
मर्द के आज्ञा पालन में ही कट जाती है |
जब बाप की कानो में पड़ी
तो उनका चेहरा उतर गया
भविष्य का सपना बिखर गया
क्योंकि मैं लड़की थी
घर का माहौल यूं हो गया
जैसे पैदाइश नहीं
कोई मौत हुई है
माँ को भी
लाल के आने का पूरा भरोसा था
मैं लाल नहीं, लाली थी
इशलिये माँ ने भी जी भर कर कोसा था
फिर मुझे बेमन से पाला पोसा गया
मेरे सामने
भाई का जूठन परोसा गया
मैं अपने ही घर में
अजनबी बनकर जीती रही
फिर भी माँ-बाप से मुझे
कोई शिकायत न थी
क्योंकि मैं जानती हूँ
औरत की जिंदगी,
मर्द के आज्ञा पालन में ही कट जाती है |
बेटियों का जन्म एक दुखदाई क्षण होता है हम इसी को सत्य मान कर जी रहें है जबकि यह सबसे बड़ा झूठ है| खुबसूरत अहसास, बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता ! पढ़ कर बेहद दुःख हुआ ! आज भी हमारे समाज में लडकी को अभिशाप ही माना जाता है ..और जो लिखा है वो शातवत सत्य है कई लडकियों के साथ ऐसा होता है ..
ReplyDeleteशायद हमें अभी भी इसका एहसास नही है कि अगर बेटियॉ नही होती तो ये संसार ही नही होता। खुबसुरत रचना के लिए बधाई।
ReplyDeleteNice post.
ReplyDeleteजनगणन 2011 ने साबित कर दिया है कि लड़कियों के प्रति हमारा समाज कितना बेरहम है ? तक़रीबन 110 बरस पहले 1901 की जनगणना में भारतीय समाज में लड़कियों जो तादाद थी। उससे बेहतर अभी भी नहीं हुई है। साईंस और तकनीक की तरक्क़ी ने बेरहम मां-बाप के हौसलों को इतना बढ़ा दिया है कि अब वे अपनी बच्चियों को दुनिया में आने से पहले ही मां के पेट में क़त्ल कर देते हैं।
ये बातें हाली पानीपती ट्रस्ट के सेक्रेटरी एडवोकेट राम मोहन राय ने पानीपत में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि मां के गर्भ में बच्चियों का क़त्ल शिक्षित घरानों में हो रहा है। उन्होंने मेवात की मिसाल देते हुए कहा कि दक्षिणी हरियाणा के इस मुस्लिम बहुल ज़िले में स्त्री-पुरूष के अनुपात में बहुत कम अंतर पाया गया है।
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/04/blog-post_5712.html
प्रभावित करते भाव...बहुत सुंदर
ReplyDeleteआप की कबिता ने प्रभावित किया लड़कियों के जन्म को अभिशाप माना जाता है जबकि सृष्टी की जननी लड़कियां ही है उसके बिना इस संसार की कल्पना नही की जा सकती है आपने इसे शिद्दत से महसूस किया इस भावना के लिए आपको बधाई |
ReplyDelete--------------------------------------------
यहाँ पधारें --- www.binadanand.blogspot.com
बहुत खूब दोस्त...
ReplyDeleteमा के स्वास्थ के लिये प्रार्थना...
शातवत सत्य है कई लडकियों के साथ ऐसा होता है ..
ReplyDeleteखुबसुरत रचना के लिए बधाई।
ReplyDeleteमेरे पैदा होने की खबर
ReplyDeleteजब बाप की कानो में पड़ी
तो उनका चेहरा उतर गया
भविष्य का सपना बिखर गया
क्योंकि मैं लड़की थी
अब क्या कहूँ भाई जी .....!
बहुत सुंदर प्रभावित करते भाव|धन्यवाद|
ReplyDeleteआकाश सिंह जी मुबारक हो बहुत सुन्दर रचना लाली का दर्द दिल को छू गया जो लोग लाली के साथ इस तरह से पेश आते हैं आज इतना चिल्लाने जागरूकता फ़ैलाने के बाद भी वे सच मानव कहलाने के अधिकारी ही नहीं चाहे माँ हो या बाप -
ReplyDeleteक्योंकि मैं लड़की थी
घर का माहौल यूं हो गया
जैसे पैदाइश नहीं
कोई मौत हुई है
उपर्युक्त शब्द न जाने क्यों लोगों के दिल में नहीं चुभते
आइये अपना सुझाव व् समर्थन के साथ भ्रमर का दर्द और दर्पण में
धन्यवाद
अच्छा लिखते हो ...शुभकामनायें !
ReplyDeletenice one yaar hope your writing change someones mind too
ReplyDeletesarthak post ke liye aabhar
ReplyDeleteवाह क्या बात है आकाश बहुत खूब
ReplyDeleteअरुन (arunsblog.in)