ये कविता भोजपुरी में खासकर बिहार और झारखण्ड में हो रही परीक्छा को लेकर लिखी गई है |
इन दिनों पुरे देश में सरकारी स्कूल और कालेजों की परीक्छा जोर शोर से हो रही है मेरे मन में एक विचार आया जो मैंने लिख दिया अब आप भी अपना बहुमूल्य विचार दे ही दीजिये|
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
एम. ए. बी. ए. पास कइलन तनको ना बुझाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
चीट पर फिट होके सीट पर लिखाता
मैट्रिक, इंटर क्लास के परीक्छा दियाता
एगो जालन लिखे दुगो लागल जालन पीछे
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
घुश चपरासी से पुलिस के पैसा दियाता
एकरा पर सरकार के तनको न बुझाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
टीचर ट्रेनिंग के लोग मास्टर कहता
तेरह दिन में तिन दिन पढावे लोगन जाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
रोज-रोज नया-नया स्कूल, कॉलेज खुलल जाता
एकरा में पढावे वाला भूखे मरल जाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
इन दिनों पुरे देश में सरकारी स्कूल और कालेजों की परीक्छा जोर शोर से हो रही है मेरे मन में एक विचार आया जो मैंने लिख दिया अब आप भी अपना बहुमूल्य विचार दे ही दीजिये|
जरा सोंचिये पीछे की खिड़की के बारे में... |
एम. ए. बी. ए. पास कइलन तनको ना बुझाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
चीट पर फिट होके सीट पर लिखाता
मैट्रिक, इंटर क्लास के परीक्छा दियाता
एगो जालन लिखे दुगो लागल जालन पीछे
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
घुश चपरासी से पुलिस के पैसा दियाता
एकरा पर सरकार के तनको न बुझाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
टीचर ट्रेनिंग के लोग मास्टर कहता
तेरह दिन में तिन दिन पढावे लोगन जाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
रोज-रोज नया-नया स्कूल, कॉलेज खुलल जाता
एकरा में पढावे वाला भूखे मरल जाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
घुश चपरासी से पुलिस के पैसा दियाता
ReplyDeleteएकरा पर सरकार के तनको न बुझाता
-वाह जी, वैसे यथार्थ वर्णन है...
टीचर ट्रेनिंग के लोग मास्टर कहता
ReplyDeleteतेरह दिन में तिन दिन पढावे लोगन जाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
रोज-रोज नया-नया स्कूल, कॉलेज खुलल जाता
एकरा में पढावे वाला भूखे मरल जाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
बहुत बढ़िया ...सटीक और सच्ची पंक्तियाँ रची हैं....
देश की शिक्षा प्रणाली का सही खुलासा किया है ।
ReplyDeleteब्लोगिंग में आपका स्वागत है ।
desh kaa shi haal byaan kiya hai. akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteNice post.
ReplyDelete@ आकाश जी ! आपने 'ब्लॉग की ख़बरें' से जुड़ने का तरीक़ा पूछा है ।
इसके लिए आप
eshvani@gmail.com
पर अपनी ईमेल आईडी भेज दीजिए ।
शुक्रिया !
Welcome.
aakash bahut sajeev prastuti kee hai aapne.aaj ke blogar aapse prerna lekar sachchai ko ujagar karen to desh me kafi jagrookta lai ja sakti hai.
ReplyDeleteaapki mummy ab kaisee hain?unhe v tumko hamari aur se ram navmi kee hardik shubhkamnayen.ve jald hi swasth hokar aapke sath ham blogars se milen to hame bahut khushi hogi.
bahut sahi bate kahi hain aapne abhivyakti sangrahniy hai.
ReplyDeleteदेसवा के हाल कइसे जाई कहल
ReplyDeleteजब भोंट देबे घड़ी बुद्धि भुलाइल जाला
इहो सुनतानी कि उहे बेचैन बा
जवना के लाभ अबहीले मिलल ना....
यथार्थ का सही चित्रण किया है। नक़ल करने वाले भाँती-भाँती की जुगत लगा ही लेते हैं। बहुत प्यारी कविता।
ReplyDeleteरोज-रोज नया-नया स्कूल, कॉलेज खुलल जाता
ReplyDeleteएकरा में पढावे वाला भूखे मरल जाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?bahut hi badhiya .
सच्चाई बताने से दोस्त भी दुश्मन बन सकते है।
ReplyDeleteभाई,
इसी 2 मार्च को आपके शहर में विराजमान थे।
हम इलाहाबाद से काशी की पदयात्रा पर थे,
BAHUT SAHI BAAT KI AAPNE
ReplyDeleteएकरा में पढावे वाला भूखे मरल जाता
ReplyDeleteका कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
बहुत बढ़िया ...सटीक और सच्ची पंक्तियाँ
यथार्थ का सही चित्रण, बहुत बढ़िया|
ReplyDelete‘देशवा के हाल भईया’....सच्चाई बयान करती सुंदर रचना के लिए बधाई....
ReplyDeleteBahute badhiya likhle baani...aapka nahi hai kono saani...
ReplyDeleteरोज-रोज नया-नया स्कूल, कॉलेज खुलल जाता
ReplyDeleteएकरा में पढावे वाला भूखे मरल जाता
बहुत सुंदर सार्थक विवेचन किया
http://www.avaneesh99.blogspot.com/
चीट पर फिट होके सीट पर लिखाता
ReplyDeleteमैट्रिक, इंटर क्लास के परीक्छा दियाता
एगो जालन लिखे दुगो लागल जालन पीछे
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
बहुत ही सुंदर
"सुगना फाऊंडेशन जोधपुर" "हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम" "ब्लॉग की ख़बरें" और"आज का आगरा" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को " "भगवान महावीर जयन्ति"" की बहुत बहुत शुभकामनाये !
ReplyDeleteसवाई सिंह राजपुरोहित
बहुत सुन्दर ... का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ? यी करे खातिर गाँव - नगर सभे तैयार बा ! फिर चिंता केकरा खातिर !.
ReplyDeleteअच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
ReplyDeleteबहुत अच्छी पोस्ट है-- शिक्षा - प्रणाली की ऐसी दुर्गति अपने देश में ही सम्भव है ---क्या आबू आगे नही घूमना ?
ReplyDeleteमहसूस लिखो ! महशुस नहीं !आशा है बुरा नही मानोगे ?
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी कविता लिखी है आपने.... आकाश जी
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