मेरे पड़ोस में सिर्फ एक मोटरसाइकल के लिए नई युवती को जला कर मर दिया गया, मैं बहूत ही कंफ्यूज हूँ कृपया अपनी राय अवश्य दें |
एक ही औरत
एक ही औरत
माँ बहन और बीवी
कई हिस्सों में बंट जाती है
फिर भी वह अपना धर्म निभाती है
मैंने किताबों में पढ़ा था
जब सती प्रथा के नाम पर औरत
जलने को मजबूर कर दी जाती थी
जलाई वह तब भी जाती थी
लेकिन दुसरे तरीके से
आज भी ऐसा ही होता है
सिर्फ प्रथा का नाम बदला है
आज की औरत दहेज़ के लिए
दिन दहाड़े जला दी जाती है
और होता कुछ नही है दहेज़ प्रथा और सती प्रथा में
क्या फर्क है ?
दोनों ही सूरत में
औरत की जिंदगी नर्क है |
bhaai itne mhilaavaadi qaanun hen dhez dena lena apradh he or fir sati honaa sati krvaana apradh he fir bhi yeh apraadh isliyen ho rhe hen ke khin naa khin ismen mhilaa ki mdad or mhilaa ki rzaamndi shamail he . akhtar khan akela kota rajsthaan
ReplyDeleteऔरत की जिंदगी नर्क है -akash meri bhi ek friend ko sasural valon ne fansi lagakar mar dala tha .dahej pratha jab tak hai aurat ki jindgi nark hi hai .achchhi post ke liye aabhar .
ReplyDeleteमेरे ब्लोक पर आपका स्वागत है आकाश !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और मार्मिक कविता लिखी है
नारी तू जननी है !
और जलने आई है !!
अपनों के द्वारा सताई हुई नारी की व्यथा आपने खूबसूरत ढंग से पेश किया --धन्यवाद ~!
बहुत संवेदनशील और गहरे भाव हैं आकाश..... यह कुप्रथाएं जाने कब तक जाने लेंगीं ...अच्छी रचना बधाई
ReplyDeleteDear Akash Singh JI
ReplyDeleteBahut hi umda sabdo ka prayog kiye hain aap..
आज की औरत दहेज़ के लिए
दिन दहाड़े जला दी जाती है
और होता कुछ नही है दहेज़ प्रथा और सती प्रथा में
क्या फर्क है ?
दोनों ही सूरत में
औरत की जिंदगी नर्क है |
दहेज़ प्रथा और सती प्रथा में
ReplyDeleteक्या फर्क है ?
दोनों ही सूरत में
औरत की जिंदगी नर्क है |.........
bahut umda kaha hai aapne Aakash bhai...kripya apne samajik sarokaron ko aise hi banaye rakkhen !
जाट देवता की राम राम,
ReplyDeleteआओ दोस्त, यात्रा का आन्न्द लो। कोइ जानबूझ कर किसी को नहीं मारेगा । वो भी एक बाइक के लिये ना बिल्कुल ना ।
अपना ब्लाग टाइम ठीक करो ।
ReplyDeleteअपनों के द्वारा सताई हुई नारी की व्यथा आपने खूबसूरत ढंग से पेश किया धन्यवाद|
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना।
ReplyDeleteआपने गंभीर विषय पर लिखा।
सच में हम औरत को देवी का दर्जा देते हैं लेकिन कभी सती प्रथा के नाम पर और कभी दहेज के नाम पर औरत की बलि ले ली जाती है।
इस पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता है और आपकी रचना यह अवसर देती है।
शुभकामनाएं आपको।
आकाश जी आप टिप्पणियों में से शब्द पुष्टिकरण हटा लें, टिप्पणी करने वालों को सरलता होगी।
ReplyDeleteachhi rachna...............
ReplyDeleteनारी की व्यथा आपने खूबसूरत ढंग से पेश किया
ReplyDeleteधन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
ReplyDeleteभावपूर्ण व सार्थक रचना
ReplyDeleteनारी तेरी यही कहानी
आँचल मे दूध और आँखो मे पानी
chup raho aur saho ,naari kasht ka doosra naam hai ,ise sita ji bhi bhali bhanti samjha gayi ,haq aur samman ki baate sirf juban tak rah jaati hai ,manviya padap ki anmani kali hai aur usi ki janni bhi .aapki rachna bahut achchhi lagi .aabhari hoon aane ke liye .
ReplyDelete"और होता कुछ नही है दहेज़ प्रथा और सती प्रथा में
ReplyDeleteक्या फर्क है ?
दोनों ही सूरत में
औरत की जिंदगी नर्क है "
प्रासंगिक रचना , भावपूर्ण रचना, बहुत बढ़िया .
साधुवाद.
bahut acchi rachna
ReplyDeletehttp://vivj2000.blogspot.com Vivek Jain
mai is baat se sahmat hu ki aaj ke samaj me ho rahe dahej partha se kitno bahano ki jaan jaa rahi hi,is liye hamari sarkar to is masale me koi kadam nahi uta rahi hi,is masale ka hal hum log hi aapas me milkar,hamara nara hi "HAME BHARAT KO NAYA RASTRA BANANA HI OR DAHEJ PARTHA KO JARD SE MITANA HI"
ReplyDeleteप्रिय आकाश जी
ReplyDeleteआपकी रचना बहुत ही अच्छी है इसे सभी को पढनी चाहिए |
धन्यावाद
लिखते रहिये|
पहली बार आपके ब्लॉग पे आया. बहुत ही अच्छा लगा !
ReplyDeleteमेरे ब्लोक पर आपका स्वागत है आकाश जी !
बहुत सुन्दर और मार्मिक कविता लिखी है आपने.
नारी तू जननी है !
और जलने आई है !!
शुभकामनाएं आपको।
नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ| धन्यवाद|
ReplyDeleteसार्थक एवं विचारोत्तेजक कविता के लिए शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteनवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteVivek Jain http://vivj2000.blogspot.com
आपका ब्लॉग पसंद आया और आपने जो कहा था हमने वह भी कर लिया है.
ReplyDeleteयह रचना सार्थक है. हम आपको HBFI का सदस्य बन्ने हेतु आमंत्रित करते हैं. http://hbfint.blogspot.com/2011/04/best-wishes.html
अपनी email id भेज दीजिये
eshvani@gmail.com
कन्या भ्रूण हत्या का असल कारण भी दहेज़ ही है .
ReplyDeleteआपने अच्छा लिखा .
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/04/blog-post_04.html