Akash
इस ब्लॉग की
Saturday, October 29, 2011
Monday, September 26, 2011
दुल्हन........ - आकाश सिंह
गम और खुशी जिंदगी के ऐसे दो धागे हैं जिनके ताने बाने के बगैर जिंदगी की चादर नहीं बुनी जा सकती |
फूलों से क्यों मोहब्बत है तितलियाँ समझती हैं |
माँ के दिल में क्या गम है बेटियां समझती हैं ||
रुखसती की तन्हाई गूंजती है आँगन में |
दुल्हनों के आंसू को सहेलियां समझती हैं ||
तोड़कर मसलते हैं जो नर्म नर्म फूलों को |
दर्द किसको कहते हैं डालियाँ समझती हैं ||
मरघटों में आती है रोज एक नई दुल्हन |
किस तरह जली होगी अर्थियां समझती हैं ||
फूलों से क्यों मोहब्बत है तितलियाँ समझती हैं |
माँ के दिल में क्या गम है बेटियां समझती हैं ||
रुखसती की तन्हाई गूंजती है आँगन में |
दुल्हनों के आंसू को सहेलियां समझती हैं ||
तोड़कर मसलते हैं जो नर्म नर्म फूलों को |
दर्द किसको कहते हैं डालियाँ समझती हैं ||
मरघटों में आती है रोज एक नई दुल्हन |
किस तरह जली होगी अर्थियां समझती हैं ||
Wednesday, June 15, 2011
सवाल ? - आकाश सिंह
प्रिय साथियों मैं पिछले कुछ दिनों से ब्लोगिंग की दुनिया से बेखबर था इसके लिए आप सभी से माफ़ी चाहता हूँ| एक नई प्रस्तुति के साथ आकाश कुमार का प्यार भरा नमस्कार स्वीकार करें|
बेटी वाले कैसे ख़रीदे भाव बहुत है बढे हुए ?
दस-बीस, साठ-सत्तर से लाखों पर आ पहुंचे हैं |
हाय कितने बेबस हैं वे जो खुद को बेच रहे हैं |
शायद उपर उठने का प्रयास कर रहे हैं |
तभी तो दुल्हन के रूप में खजाने की चाभी ढूंढ रहे हैं |
नहीं अब बिकेंगे नहीं अब खरीदेंगे...
हम पशु नही इन्सान हैं |
सवाल ?
दौलत के बाजार में नीलाम हुए लड़के,बेटी वाले कैसे ख़रीदे भाव बहुत है बढे हुए ?
दस-बीस, साठ-सत्तर से लाखों पर आ पहुंचे हैं |
हाय कितने बेबस हैं वे जो खुद को बेच रहे हैं |
शायद उपर उठने का प्रयास कर रहे हैं |
तभी तो दुल्हन के रूप में खजाने की चाभी ढूंढ रहे हैं |
नहीं अब बिकेंगे नहीं अब खरीदेंगे...
हम पशु नही इन्सान हैं |
Monday, April 25, 2011
आगाज और अंजाम ! - आकाश सिंह
मेरे पैदा होने की खबर
जब बाप की कानो में पड़ी
तो उनका चेहरा उतर गया
भविष्य का सपना बिखर गया
क्योंकि मैं लड़की थी
घर का माहौल यूं हो गया
जैसे पैदाइश नहीं
कोई मौत हुई है
माँ को भी
लाल के आने का पूरा भरोसा था
मैं लाल नहीं, लाली थी
इशलिये माँ ने भी जी भर कर कोसा था
फिर मुझे बेमन से पाला पोसा गया
मेरे सामने
भाई का जूठन परोसा गया
मैं अपने ही घर में
अजनबी बनकर जीती रही
फिर भी माँ-बाप से मुझे
कोई शिकायत न थी
क्योंकि मैं जानती हूँ
औरत की जिंदगी,
मर्द के आज्ञा पालन में ही कट जाती है |
जब बाप की कानो में पड़ी
तो उनका चेहरा उतर गया
भविष्य का सपना बिखर गया
क्योंकि मैं लड़की थी
घर का माहौल यूं हो गया
जैसे पैदाइश नहीं
कोई मौत हुई है
माँ को भी
लाल के आने का पूरा भरोसा था
मैं लाल नहीं, लाली थी
इशलिये माँ ने भी जी भर कर कोसा था
फिर मुझे बेमन से पाला पोसा गया
मेरे सामने
भाई का जूठन परोसा गया
मैं अपने ही घर में
अजनबी बनकर जीती रही
फिर भी माँ-बाप से मुझे
कोई शिकायत न थी
क्योंकि मैं जानती हूँ
औरत की जिंदगी,
मर्द के आज्ञा पालन में ही कट जाती है |
Tuesday, April 12, 2011
का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
ये कविता भोजपुरी में खासकर बिहार और झारखण्ड में हो रही परीक्छा को लेकर लिखी गई है |
इन दिनों पुरे देश में सरकारी स्कूल और कालेजों की परीक्छा जोर शोर से हो रही है मेरे मन में एक विचार आया जो मैंने लिख दिया अब आप भी अपना बहुमूल्य विचार दे ही दीजिये|
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
एम. ए. बी. ए. पास कइलन तनको ना बुझाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
चीट पर फिट होके सीट पर लिखाता
मैट्रिक, इंटर क्लास के परीक्छा दियाता
एगो जालन लिखे दुगो लागल जालन पीछे
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
घुश चपरासी से पुलिस के पैसा दियाता
एकरा पर सरकार के तनको न बुझाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
टीचर ट्रेनिंग के लोग मास्टर कहता
तेरह दिन में तिन दिन पढावे लोगन जाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
रोज-रोज नया-नया स्कूल, कॉलेज खुलल जाता
एकरा में पढावे वाला भूखे मरल जाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
इन दिनों पुरे देश में सरकारी स्कूल और कालेजों की परीक्छा जोर शोर से हो रही है मेरे मन में एक विचार आया जो मैंने लिख दिया अब आप भी अपना बहुमूल्य विचार दे ही दीजिये|
जरा सोंचिये पीछे की खिड़की के बारे में... |
एम. ए. बी. ए. पास कइलन तनको ना बुझाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
चीट पर फिट होके सीट पर लिखाता
मैट्रिक, इंटर क्लास के परीक्छा दियाता
एगो जालन लिखे दुगो लागल जालन पीछे
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
घुश चपरासी से पुलिस के पैसा दियाता
एकरा पर सरकार के तनको न बुझाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
टीचर ट्रेनिंग के लोग मास्टर कहता
तेरह दिन में तिन दिन पढावे लोगन जाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
रोज-रोज नया-नया स्कूल, कॉलेज खुलल जाता
एकरा में पढावे वाला भूखे मरल जाता
का कहीं.. का कहीं देशवा के हाल भईया कहलो ना जाता ?
Thursday, April 7, 2011
भ्रस्टाचार के खिलाफ महायुद्ध .... - आकाश सिंह
जैसे बीज में छुपा है वृछ, चिंगारी में है आग |
भारत माँ की इज्जत आपके हाथ, जाग सके तो जाग, जाग सके तो जाग |
प्रिय साथियों
आप सभी को आकाश कुमार का प्यार भरा नमस्कार |
आज कहते हुए मुझे शर्म आ रही है की जिस देश की पहचान सादगी सचाई और सम्मान के लिए जानी जाती है वहीँ आज चोरी फरेब, घोटाला और अपसरशाही के लिए मशहूर होता जा रहा है रोज रोज अपराधिक तत्व के मामले और नए नए घोटाले उजागर हो रहे हैं| क्या हम उसी देश में हैं जिस देश को लोग माँ कहकर पुकारते हैं क्या हम उसी देश में हैं जहाँ नदियों, पहाड़ो और पशुओं को पूजा जाता है | कहने को तो हम भारत माता कहते हैं पर क्या हम उस माँ का सपूत कहलाने लायक हैं जो वर्षों से इसकी लुटती हुई इज्जत को नजरंदाज करते आ रहे हैं, जी नही आज मैं उस सपूत को सलाम करता हूँ जिन्होंने अपसरशाही, गुंडागर्दी और भ्रस्टाचार के खिलाफ खुलेआम आन्दोलन कर रहे हैं | अब कितनी जुल्म होगी भारत माता पर जरा सोचिये जन्म देनेवाली माँ के बारे में कोई अभद्र बोले तो जान लेने और देने को तैयार हो जाते हैं| पर शायद आप भूल रहे हैं की भारत माता ने न जाने कितने सपूतों को जन्म दिया है | इसकी इज्जत और आबरू को पहले वो दुरंग निति वाले भडुवे अंगरेजों ने लुटा फिर आज के घरेलु शैतान अपनी ही माँ का इज्जत तार-तार कर रहे हैं साथियों कहने को तो हम कहते हैं की हम १९४७ से आजाद हैं पर क्या वाकई में हम आजाद हैं नहीं हमे १९४७ में सिर्फ राजनैतिक आजदी मिली आर्थिक आजादी तो अभी बाकि है | अब वो समय आ गया है अपनी माँ का कर्ज अदा करने का, आज देश के हर घर से एक अन्ना हजारे होने चाहिए तभी हम भारत माँ की सम्मान को बचा पाएंगे | माँ और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है|
आओ साथिओं हम मिलकर भ्रस्टाचार के खिलाफ ये कसम खाएं की
जय हिंद | जय भारत |
भारत माँ की इज्जत आपके हाथ, जाग सके तो जाग, जाग सके तो जाग |
प्रिय साथियों
आप सभी को आकाश कुमार का प्यार भरा नमस्कार |
आज कहते हुए मुझे शर्म आ रही है की जिस देश की पहचान सादगी सचाई और सम्मान के लिए जानी जाती है वहीँ आज चोरी फरेब, घोटाला और अपसरशाही के लिए मशहूर होता जा रहा है रोज रोज अपराधिक तत्व के मामले और नए नए घोटाले उजागर हो रहे हैं| क्या हम उसी देश में हैं जिस देश को लोग माँ कहकर पुकारते हैं क्या हम उसी देश में हैं जहाँ नदियों, पहाड़ो और पशुओं को पूजा जाता है | कहने को तो हम भारत माता कहते हैं पर क्या हम उस माँ का सपूत कहलाने लायक हैं जो वर्षों से इसकी लुटती हुई इज्जत को नजरंदाज करते आ रहे हैं, जी नही आज मैं उस सपूत को सलाम करता हूँ जिन्होंने अपसरशाही, गुंडागर्दी और भ्रस्टाचार के खिलाफ खुलेआम आन्दोलन कर रहे हैं | अब कितनी जुल्म होगी भारत माता पर जरा सोचिये जन्म देनेवाली माँ के बारे में कोई अभद्र बोले तो जान लेने और देने को तैयार हो जाते हैं| पर शायद आप भूल रहे हैं की भारत माता ने न जाने कितने सपूतों को जन्म दिया है | इसकी इज्जत और आबरू को पहले वो दुरंग निति वाले भडुवे अंगरेजों ने लुटा फिर आज के घरेलु शैतान अपनी ही माँ का इज्जत तार-तार कर रहे हैं साथियों कहने को तो हम कहते हैं की हम १९४७ से आजाद हैं पर क्या वाकई में हम आजाद हैं नहीं हमे १९४७ में सिर्फ राजनैतिक आजदी मिली आर्थिक आजादी तो अभी बाकि है | अब वो समय आ गया है अपनी माँ का कर्ज अदा करने का, आज देश के हर घर से एक अन्ना हजारे होने चाहिए तभी हम भारत माँ की सम्मान को बचा पाएंगे | माँ और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है|
आओ साथिओं हम मिलकर भ्रस्टाचार के खिलाफ ये कसम खाएं की
देश को भ्रस्ट नेताओं से मुक्त कराना है, अपसरशाही को मिटाना है
लूटे हुए पैसे को वापस लाकर, लुटेरों को जेल भेजवाना है |
और आर्थिक आजादी लाना है, फिर से नया भारत बनाना है |
जय हिंद | जय भारत |
Tuesday, April 5, 2011
नेताओं की करतूत कितना सही कितना गलत !!! - आकाश सिंह
सिर्फ क्रिकेट ही क्यों ? दिल से पढ़िए और जरा सोचिये देश के अन्य खिलाडियों के बारे में|
२ अप्रैल २०११ रात्रि के करीब १०:४० बजे महेंद्र सिंह धोनी ने जब कुलशेखरा के गेंद पर विजयी छक्का लगाया तभी पुरे भारत में एक बार फिर से दिवाली की लहर आ गई फिर
एक-दुसरे को बधाई देने का दौर चला| मैंने भी अपनी ख़ुशी का इजहार किया और शायद आप भी |
इंडिया ने विश्व कप पर अपना कब्ज़ा जमा ही लिया| सभी भारतीय उतशाह से लबरेज होकर अपने अपने अंदाज में खुशियाँ मना रहे हैं|
आख़िरकार हिंदुस्तान का तिरंगा एक बार फिर पूरी दुनिया में सबसे उपर लहरा रहा है| आखिर लहराएगी भी क्यों नही? १ अरब २१ करोड़ भारतीय का जो साथ रहा है| पर इन सब के बिच कुछ सवाल हैं जो बार बार मेरे दिल को झकझोर दे रही है बात सिर्फ सवाल का नही है ये तो एक माध्यम है भारतीय खेल और खिलाडियों के साथ हो रही बेइजती का सच आपके सामने लाने का पिछले कुछ दिनों से सुर्खियाँ बटोर रही किंगफिशर की स्टार प्रचारक पूनम पांडे की बात कौन करेगा उसने तो साबित कर दिया की किंगफिशर में कितनी नशा है| पर मेरे समझ में नही आ रहा की देश के नेताओं को किस नशा का खुमार है की सब के सब पगला गएँ हैं| जी मैं बात कर रहा हूँ पगलाए हुए उन सभी नेतावों के बारे में, वर्ल्ड कप पे कब्ज़ा करने के बाद क्रिकेट टीम को मनमाना ढंग से पैसे लुटा रहे हैं जहाँ एक तरफ धोनी के धुरंधरों के माध्यम से खेल जगत का जय जयकार हो रहा है वहीँ कुछ चुनेंदे नेतावों की इस करतूतों से देश शर्मशार हो रहा है और होगी भी कैसे नही जरा सोचिये क्या १ अरब २१ करोड़ आबादी वाला देश भारत में और कोई खेल नही खेला जाता? क्या और भी खिलाडी नही है जो देश का नाम रौशन कर रहे हैं? क्या उस समय ये लोग सोये हुए होते हैं जब देश के अन्य खिलाडियों को स्पोर्ट किट की जरुरत होती है? क्या देश में और भी खिलाडी नही हैं जो देश का नाम रौशन कर रहे हैं? क्या उस समय नेताओं को सुध बुध नही होती है जब ओलम्पिक और एशियाड में खिलाडी मेडल जीतकर लाते हैं| मेरे समझ से ये सब एक पब्लिसिटी स्टंट है अभी देखिये एक ने तो उतराखंड में धोनी के नाम का स्टेडियम भी बनाने का उदघोशना भी कर दिया है भाई शाहब करेंगे भी क्यों नही स्टेडियम बनेगा तभी न फिर से कुछ पैसा लुटने का बंदोबस्त होगा|
क्या नेताओं का खिलाडियों के साथ ये एकलौता ब्यवहार सही है? क्या अन्य खिलाडियों के मोरल पे ये प्रतिघात नही है?
आप अपनी राय से मुझे अवगत जरुर कराएँ |
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मंगलवार पांच अप्रैल से आयोजित होने वाले ऑल इंडिया नेहरू मेमोरियल हॉकी टूर्नामेंट को इसलिए स्थगित कर दिया गया क्योंकि इसे आयोजित करने के लिए पैसों का इंतज़ाम नहीं हो पाया|
जिस भारत में ध्यानचंद जैसे हॉकी खिलाड़ी पैदा हुए हों वहां पैसों की कमी की वजह से हॉकी टूर्नामेंट स्थगित करना पड़े, बहुत अफ़सोस की बात है. इस टूर्नामेंट के आयोजन में 15 लाख रूपए का ख़र्च था जबकि राज्य सरकार की तरफ़ से महज़ तीन लाख रूपए और खेल विभाग की तरफ़ से 75 हज़ार रूपए मिले थे|
२ अप्रैल २०११ रात्रि के करीब १०:४० बजे महेंद्र सिंह धोनी ने जब कुलशेखरा के गेंद पर विजयी छक्का लगाया तभी पुरे भारत में एक बार फिर से दिवाली की लहर आ गई फिर
एक-दुसरे को बधाई देने का दौर चला| मैंने भी अपनी ख़ुशी का इजहार किया और शायद आप भी |
इंडिया ने विश्व कप पर अपना कब्ज़ा जमा ही लिया| सभी भारतीय उतशाह से लबरेज होकर अपने अपने अंदाज में खुशियाँ मना रहे हैं|
आख़िरकार हिंदुस्तान का तिरंगा एक बार फिर पूरी दुनिया में सबसे उपर लहरा रहा है| आखिर लहराएगी भी क्यों नही? १ अरब २१ करोड़ भारतीय का जो साथ रहा है| पर इन सब के बिच कुछ सवाल हैं जो बार बार मेरे दिल को झकझोर दे रही है बात सिर्फ सवाल का नही है ये तो एक माध्यम है भारतीय खेल और खिलाडियों के साथ हो रही बेइजती का सच आपके सामने लाने का पिछले कुछ दिनों से सुर्खियाँ बटोर रही किंगफिशर की स्टार प्रचारक पूनम पांडे की बात कौन करेगा उसने तो साबित कर दिया की किंगफिशर में कितनी नशा है| पर मेरे समझ में नही आ रहा की देश के नेताओं को किस नशा का खुमार है की सब के सब पगला गएँ हैं| जी मैं बात कर रहा हूँ पगलाए हुए उन सभी नेतावों के बारे में, वर्ल्ड कप पे कब्ज़ा करने के बाद क्रिकेट टीम को मनमाना ढंग से पैसे लुटा रहे हैं जहाँ एक तरफ धोनी के धुरंधरों के माध्यम से खेल जगत का जय जयकार हो रहा है वहीँ कुछ चुनेंदे नेतावों की इस करतूतों से देश शर्मशार हो रहा है और होगी भी कैसे नही जरा सोचिये क्या १ अरब २१ करोड़ आबादी वाला देश भारत में और कोई खेल नही खेला जाता? क्या और भी खिलाडी नही है जो देश का नाम रौशन कर रहे हैं? क्या उस समय ये लोग सोये हुए होते हैं जब देश के अन्य खिलाडियों को स्पोर्ट किट की जरुरत होती है? क्या देश में और भी खिलाडी नही हैं जो देश का नाम रौशन कर रहे हैं? क्या उस समय नेताओं को सुध बुध नही होती है जब ओलम्पिक और एशियाड में खिलाडी मेडल जीतकर लाते हैं| मेरे समझ से ये सब एक पब्लिसिटी स्टंट है अभी देखिये एक ने तो उतराखंड में धोनी के नाम का स्टेडियम भी बनाने का उदघोशना भी कर दिया है भाई शाहब करेंगे भी क्यों नही स्टेडियम बनेगा तभी न फिर से कुछ पैसा लुटने का बंदोबस्त होगा|
क्या नेताओं का खिलाडियों के साथ ये एकलौता ब्यवहार सही है? क्या अन्य खिलाडियों के मोरल पे ये प्रतिघात नही है?
आप अपनी राय से मुझे अवगत जरुर कराएँ |
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मंगलवार पांच अप्रैल से आयोजित होने वाले ऑल इंडिया नेहरू मेमोरियल हॉकी टूर्नामेंट को इसलिए स्थगित कर दिया गया क्योंकि इसे आयोजित करने के लिए पैसों का इंतज़ाम नहीं हो पाया|
जिस भारत में ध्यानचंद जैसे हॉकी खिलाड़ी पैदा हुए हों वहां पैसों की कमी की वजह से हॉकी टूर्नामेंट स्थगित करना पड़े, बहुत अफ़सोस की बात है. इस टूर्नामेंट के आयोजन में 15 लाख रूपए का ख़र्च था जबकि राज्य सरकार की तरफ़ से महज़ तीन लाख रूपए और खेल विभाग की तरफ़ से 75 हज़ार रूपए मिले थे|
Wednesday, March 23, 2011
दहेज़ प्रथा बनाम सती प्रथा - आकाश सिंह
मेरे पड़ोस में सिर्फ एक मोटरसाइकल के लिए नई युवती को जला कर मर दिया गया, मैं बहूत ही कंफ्यूज हूँ कृपया अपनी राय अवश्य दें |
एक ही औरत
एक ही औरत
माँ बहन और बीवी
कई हिस्सों में बंट जाती है
फिर भी वह अपना धर्म निभाती है
मैंने किताबों में पढ़ा था
जब सती प्रथा के नाम पर औरत
जलने को मजबूर कर दी जाती थी
जलाई वह तब भी जाती थी
लेकिन दुसरे तरीके से
आज भी ऐसा ही होता है
सिर्फ प्रथा का नाम बदला है
आज की औरत दहेज़ के लिए
दिन दहाड़े जला दी जाती है
और होता कुछ नही है दहेज़ प्रथा और सती प्रथा में
क्या फर्क है ?
दोनों ही सूरत में
औरत की जिंदगी नर्क है |
Monday, March 21, 2011
सुनामी की कहर - आकाश सिंह
कृप्या सुनामी पीड़ितों के लिए भगवन से प्रार्थना कीजिये ताकि उनका घर फिर से खुशियों से भरापूरा हो जाये|
"सधन्यवाद"
"सधन्यवाद"
अब बस भी करो मनमानी |
नहीं तो फिर से कहर ढाएगी सुनामी ||
बंद करो प्रकृति के खिलाफ अपनी शैतानी |
नहीं तो चारो तरफ होंगी पानी ही पानी ||
क्यों करते हो प्रकृति के साथ बेईमानी |
सुधर जाओ वरना पड़ेगी मुह की खानी ||
परमाणु से धमकाते हैं चीनी और पाकिस्तानी |
मिटटी में मिल जाओगे तुम जैसे हुए जापानी ||
बम, तोप और मिसाईल से सब हो गएँ हैं अभिमानी|
सब मरेंगे एक साथ जब आएगी सुनामी ||
अभी तो ये सिर्फ ट्रेलर है पूरी फिल्म है बनानी |
जब तक फिल्म हिट न हो जाये करते रहो मनमानी ||
सब कहते हैं हम हैं हिन्दुस्तानी तुम हो पाकिस्तानी |
सुधर जाओ नहीं तो याद आएगी नानी जब तबाही लाएगी सुनामी ||
Thursday, March 17, 2011
दोस्ती की राह !!!! --- आकाश सिंह
दोस्ती की राह नही आसन
या हो धरती या आसमान,
दोस्ती से होती है ब्याक्तित्व की पहचान
या हो इन्सान या फिर भगवान,
दोस्ती में नही होनी चाहिए अभिमान
या हो हिन्दू या फिर मुसलमान,
दोस्ती में होते हैं सब एक सामान
या हो बुढा या फिर नादान,
दोस्ती से बढती है हिम्मत और शान
हो जाती है सारी मुश्किलें आशान,
दोस्ती ही मेरा गुरु दोस्ती ही मेरा ज्ञान
है उनपे ये मेरा जीवन कुर्बान,
दोस्ती ही गीता दोस्ती ही कुरान
कभी ना करो इसका अपमान .....
या हो धरती या आसमान,
दोस्ती से होती है ब्याक्तित्व की पहचान
या हो इन्सान या फिर भगवान,
दोस्ती में नही होनी चाहिए अभिमान
या हो हिन्दू या फिर मुसलमान,
दोस्ती में होते हैं सब एक सामान
या हो बुढा या फिर नादान,
दोस्ती से बढती है हिम्मत और शान
हो जाती है सारी मुश्किलें आशान,
दोस्ती ही मेरा गुरु दोस्ती ही मेरा ज्ञान
है उनपे ये मेरा जीवन कुर्बान,
दोस्ती ही गीता दोस्ती ही कुरान
कभी ना करो इसका अपमान .....
Tuesday, March 1, 2011
क्या भारत गरीब है ? अगर नहीं तो भारतीय गरीब क्यों हैं ? - आकाश सिंह
"भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा"
ये कहना है स्विस बैंक के डाइरेक्टर का. स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये (280 ,00 ,000 ,000,000) उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है. या यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है. ऐसा भी कह सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो. यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है. जरा सोचिये … हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2010 तक जारी है. इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा. मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल
लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है. भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है. हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है. हाल ही में हुवे घोटालों का आप सभी को पता ही है – CWG घोटाला, २ जी स्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला … और ना जाने कौन कौन से घोटाले अभी उजागर होने वाले है …….. आप लोग जोक्स फॉरवर्ड करते ही हो. इसे भी इतना फॉरवर्ड करो की पूरा भारत इसे पढ़े …
Monday, February 28, 2011
::::How to Create Folder Without Name::::
Hi Guys, Do You Know How 2 Create a Folder Without any Name?
Hey Try this and tell me if its working or not.
Step 2 Click on "New" then Click on "Folder"
Step 3 Use backspace to remove the name
Step 4 Press alt+255 or 0160 Together
Step 5 Press enter.
Note-Use numeric keys which are on right side of keyboard.
------One Question For You------
Can You Create a Folder Name CON ? Just Try It and tell me How it Possible or Not?
Subscribe to:
Posts (Atom)