सिर्फ क्रिकेट ही क्यों ? दिल से पढ़िए और जरा सोचिये देश के अन्य खिलाडियों के बारे में|
२ अप्रैल २०११ रात्रि के करीब १०:४० बजे महेंद्र सिंह धोनी ने जब कुलशेखरा के गेंद पर विजयी छक्का लगाया तभी पुरे भारत में एक बार फिर से दिवाली की लहर आ गई फिर
एक-दुसरे को बधाई देने का दौर चला| मैंने भी अपनी ख़ुशी का इजहार किया और शायद आप भी |
इंडिया ने विश्व कप पर अपना कब्ज़ा जमा ही लिया| सभी भारतीय उतशाह से लबरेज होकर अपने अपने अंदाज में खुशियाँ मना रहे हैं|
आख़िरकार हिंदुस्तान का तिरंगा एक बार फिर पूरी दुनिया में सबसे उपर लहरा रहा है| आखिर लहराएगी भी क्यों नही? १ अरब २१ करोड़ भारतीय का जो साथ रहा है| पर इन सब के बिच कुछ सवाल हैं जो बार बार मेरे दिल को झकझोर दे रही है बात सिर्फ सवाल का नही है ये तो एक माध्यम है भारतीय खेल और खिलाडियों के साथ हो रही बेइजती का सच आपके सामने लाने का पिछले कुछ दिनों से सुर्खियाँ बटोर रही किंगफिशर की स्टार प्रचारक पूनम पांडे की बात कौन करेगा उसने तो साबित कर दिया की किंगफिशर में कितनी नशा है| पर मेरे समझ में नही आ रहा की देश के नेताओं को किस नशा का खुमार है की सब के सब पगला गएँ हैं| जी मैं बात कर रहा हूँ पगलाए हुए उन सभी नेतावों के बारे में, वर्ल्ड कप पे कब्ज़ा करने के बाद क्रिकेट टीम को मनमाना ढंग से पैसे लुटा रहे हैं जहाँ एक तरफ धोनी के धुरंधरों के माध्यम से खेल जगत का जय जयकार हो रहा है वहीँ कुछ चुनेंदे नेतावों की इस करतूतों से देश शर्मशार हो रहा है और होगी भी कैसे नही जरा सोचिये क्या १ अरब २१ करोड़ आबादी वाला देश भारत में और कोई खेल नही खेला जाता? क्या और भी खिलाडी नही है जो देश का नाम रौशन कर रहे हैं? क्या उस समय ये लोग सोये हुए होते हैं जब देश के अन्य खिलाडियों को स्पोर्ट किट की जरुरत होती है? क्या देश में और भी खिलाडी नही हैं जो देश का नाम रौशन कर रहे हैं? क्या उस समय नेताओं को सुध बुध नही होती है जब ओलम्पिक और एशियाड में खिलाडी मेडल जीतकर लाते हैं| मेरे समझ से ये सब एक पब्लिसिटी स्टंट है अभी देखिये एक ने तो उतराखंड में धोनी के नाम का स्टेडियम भी बनाने का उदघोशना भी कर दिया है भाई शाहब करेंगे भी क्यों नही स्टेडियम बनेगा तभी न फिर से कुछ पैसा लुटने का बंदोबस्त होगा|
क्या नेताओं का खिलाडियों के साथ ये एकलौता ब्यवहार सही है? क्या अन्य खिलाडियों के मोरल पे ये प्रतिघात नही है?
आप अपनी राय से मुझे अवगत जरुर कराएँ |
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मंगलवार पांच अप्रैल से आयोजित होने वाले ऑल इंडिया नेहरू मेमोरियल हॉकी टूर्नामेंट को इसलिए स्थगित कर दिया गया क्योंकि इसे आयोजित करने के लिए पैसों का इंतज़ाम नहीं हो पाया|
जिस भारत में ध्यानचंद जैसे हॉकी खिलाड़ी पैदा हुए हों वहां पैसों की कमी की वजह से हॉकी टूर्नामेंट स्थगित करना पड़े, बहुत अफ़सोस की बात है. इस टूर्नामेंट के आयोजन में 15 लाख रूपए का ख़र्च था जबकि राज्य सरकार की तरफ़ से महज़ तीन लाख रूपए और खेल विभाग की तरफ़ से 75 हज़ार रूपए मिले थे|
२ अप्रैल २०११ रात्रि के करीब १०:४० बजे महेंद्र सिंह धोनी ने जब कुलशेखरा के गेंद पर विजयी छक्का लगाया तभी पुरे भारत में एक बार फिर से दिवाली की लहर आ गई फिर
एक-दुसरे को बधाई देने का दौर चला| मैंने भी अपनी ख़ुशी का इजहार किया और शायद आप भी |
इंडिया ने विश्व कप पर अपना कब्ज़ा जमा ही लिया| सभी भारतीय उतशाह से लबरेज होकर अपने अपने अंदाज में खुशियाँ मना रहे हैं|
आख़िरकार हिंदुस्तान का तिरंगा एक बार फिर पूरी दुनिया में सबसे उपर लहरा रहा है| आखिर लहराएगी भी क्यों नही? १ अरब २१ करोड़ भारतीय का जो साथ रहा है| पर इन सब के बिच कुछ सवाल हैं जो बार बार मेरे दिल को झकझोर दे रही है बात सिर्फ सवाल का नही है ये तो एक माध्यम है भारतीय खेल और खिलाडियों के साथ हो रही बेइजती का सच आपके सामने लाने का पिछले कुछ दिनों से सुर्खियाँ बटोर रही किंगफिशर की स्टार प्रचारक पूनम पांडे की बात कौन करेगा उसने तो साबित कर दिया की किंगफिशर में कितनी नशा है| पर मेरे समझ में नही आ रहा की देश के नेताओं को किस नशा का खुमार है की सब के सब पगला गएँ हैं| जी मैं बात कर रहा हूँ पगलाए हुए उन सभी नेतावों के बारे में, वर्ल्ड कप पे कब्ज़ा करने के बाद क्रिकेट टीम को मनमाना ढंग से पैसे लुटा रहे हैं जहाँ एक तरफ धोनी के धुरंधरों के माध्यम से खेल जगत का जय जयकार हो रहा है वहीँ कुछ चुनेंदे नेतावों की इस करतूतों से देश शर्मशार हो रहा है और होगी भी कैसे नही जरा सोचिये क्या १ अरब २१ करोड़ आबादी वाला देश भारत में और कोई खेल नही खेला जाता? क्या और भी खिलाडी नही है जो देश का नाम रौशन कर रहे हैं? क्या उस समय ये लोग सोये हुए होते हैं जब देश के अन्य खिलाडियों को स्पोर्ट किट की जरुरत होती है? क्या देश में और भी खिलाडी नही हैं जो देश का नाम रौशन कर रहे हैं? क्या उस समय नेताओं को सुध बुध नही होती है जब ओलम्पिक और एशियाड में खिलाडी मेडल जीतकर लाते हैं| मेरे समझ से ये सब एक पब्लिसिटी स्टंट है अभी देखिये एक ने तो उतराखंड में धोनी के नाम का स्टेडियम भी बनाने का उदघोशना भी कर दिया है भाई शाहब करेंगे भी क्यों नही स्टेडियम बनेगा तभी न फिर से कुछ पैसा लुटने का बंदोबस्त होगा|
क्या नेताओं का खिलाडियों के साथ ये एकलौता ब्यवहार सही है? क्या अन्य खिलाडियों के मोरल पे ये प्रतिघात नही है?
आप अपनी राय से मुझे अवगत जरुर कराएँ |
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मंगलवार पांच अप्रैल से आयोजित होने वाले ऑल इंडिया नेहरू मेमोरियल हॉकी टूर्नामेंट को इसलिए स्थगित कर दिया गया क्योंकि इसे आयोजित करने के लिए पैसों का इंतज़ाम नहीं हो पाया|
जिस भारत में ध्यानचंद जैसे हॉकी खिलाड़ी पैदा हुए हों वहां पैसों की कमी की वजह से हॉकी टूर्नामेंट स्थगित करना पड़े, बहुत अफ़सोस की बात है. इस टूर्नामेंट के आयोजन में 15 लाख रूपए का ख़र्च था जबकि राज्य सरकार की तरफ़ से महज़ तीन लाख रूपए और खेल विभाग की तरफ़ से 75 हज़ार रूपए मिले थे|
मेरे समझ में नही आ रहा की देश के नेताओं को किस नशा का खुमार है की सब के सब पगला गएँ हैं| जी मैं बात कर रहा हूँ पगलाए हुए उन सभी नेतावों के बारे में, वर्ल्ड कप पे कब्ज़ा करने के बाद क्रिकेट टीम को मनमाना ढंग से पैसे लुटा रहे हैं
ReplyDeleteNice post.
अन्य खिलाडियों के मनोबल पर ये प्रतिघात होता है आपने बिलकुल ठीक कहा आकाश जी और आप ने यह सवाल उठा कर तो एक महत्वपूर्ण कार्य करदिया है इस के लिए मै आपका आभार प्रकट करता हूँ
ReplyDeleteआपका स्वागत है
ReplyDelete"गौ ह्त्या के चंद कारण और हमारे जीवन में भूमिका!"
बिलकुल ठीक लिखा है आपने , पर नेता तो नेता है हिन्दुस्तान की जनता जब पगला रही है तो कोई क्या कर सकता है जब जनता ही क्रिकेट के लिए पागल है तो ये नेता तो अपना उल्लू सीधा करेगे ही--
ReplyDeleteनेता दो चीजो से डरते है एक जनता और दूसरा मीडियां ! जब ये दोनों सशक्त शक्तिया ही कुछ नही कर रही है तो हम कया कर सकते है --इसके लिए जनता को जागना होगा --मिडिया को इन्हें दूर रखना होगा तब ही काम हो सकता है वरना ड़ोल बजाते रहो कोई सुनने वाला नही है ?
डॉ. अनवर जमाल जी को बहुत बहुत धन्यवाद|
ReplyDeleteसवाई सिंह राजपुरोहित जी को बहुत बहुत धन्यवाद|
दर्शन कौर धनोए जी को बहुत बहुत धन्यवाद|
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आप सभी को नए साल की हार्दिक बधाई |
आपका कहना सही है ..मेरे ब्लॉग पर आकर उत्साहवर्धन के लिए आपका आभार
ReplyDeleteब्लॉगजगत में आपका स्वागत है..सर्थक लेखन के लिए बधाई एवं शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteहमारे नेताओं को सभी खेलों को प्रोत्साहन देना चाहिए| धन्यवाद|
ReplyDeleteब्लॉगजगत में आपका स्वागत है..सर्थक लेखन के लिए बधाई एवं शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteआकाश जी अब वो समय आ गया है जब पाप का घड़ा फूटने वाला है और वो हम सब के द्वारा ही फोड़ा जायेगा | आओ सब मिल कर इनका खुला बहिस्कार करो |
ReplyDeleteदेश में खेलों के प्रति सरकार का यह दोगला रुख प्रारम्भ से ही मन को व्यथित करता रहा है ।
ReplyDeleteभ्रष्टाचार के खिलाफ जनयुद्ध
मैं तो कहता हूँ इस क्रिकेट खेल को ही भारत से बंद कर देना चाहिए क्यूंकि येही खेल बहुत तरह से भारत को लूट रहा है खोखला कर रहा है !दुनिया के कोई भी इंटेलिजेंट देश क्रिकेट नहीं खेलते फिर भारत क्यूँ खेले?
ReplyDeleteयही लिखने के बाद तो आपको पोल करवाने की जरूरत नहीं है कि सचिन को भारत रत्न मिले या नहीं. अभी सचिन ने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे देश का, समाज का कुछ भला हुआ हो अथवा यहाँ के युवाओं को देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिली हो.
ReplyDeleteजय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड